भारत में आमतौर पर हिंदू विवाह के पहले कुंडली मिलान किया जाता है ताकि शादी के बाद आने वाली मुसीबतों से दंपत्ति को बचाया जा सके। लेकिन इस पर तब सवाल खड़ा होता है जब कुंडली मिलान के बाद भी पति/पत्नी की मृत्यु/तलाक़/कलह होती है।
तो क्या हमें कुंडली विज्ञान को ही नकार देना चाहिए? अपने मूल रूप में, यह विज्ञान बहुत ही सूक्ष्म और गहन है। लेकिन जब यह किसी ऐरे-गैरे, अज्ञानी पंडित के हाथों में पड़ जाता है, तो विकृत हो जाता है।
जिस प्रकार किसी डॉक्टर द्वारा ग़लत इलाज किए जाने पर हम चिकित्सा विज्ञान पर उँगली नहीं उठाते, बल्कि उस डॉक्टर को दोष देते हैं; उसी प्रकार किसी पाखंडी पंडित द्वारा कुंडली विज्ञान के दुरुपयोग पर रोक लगनी चाहिए, ना कि इस विज्ञान को ही दकियानूसी, अंधविश्वासी मानकर भुला दिया जाना चाहिए।
बिना जाँचे-परखे, बिना शोध किए कुंडली विज्ञान को नकारना उतना ही हानिकारक है जितना किसी कपटी पंडित द्वारा इसका दुरुपयोग।